Monday, June 6, 2022

ENVIRONMENT DAY CELEBRATED IN GMSSSS BIANA (KARNAL)

 तपती धरती को बचाने का एकमात्र विकल्प अधिक से अधिक पौधारोपण करना: लालचंद विनायक

कहा: केवल धरती पर ही जीवन संभव, आओ इसे मिलकर बचाएं

रजिस्ट्रार लोकायुक्त ने आम का पौधा रोप कर की पौधरोपण अभियान की शुरूआत

ब्याना के स्कूल में रोपे फलदार, छायादार व शोदार पौधे

इन्द्री, 5 जून

जिला शिक्षा अधिकारी राजपाल चौधरी के मार्गदर्शन में गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पौधारोपण अभियान चलाया गया। कार्यक्रम में रजिस्ट्रार लोकायुक्त हरियाणा लालचंद विनायक ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने स्कूल परिसर में स्वर्णरेखा व अल्फांसो आम के पौधे रोप कर अभियान की शुरूआत की। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा व हिन्दी अध्यापक  नरेश मीत ने किया। कार्यक्रम के दौरान स्कूल में आम, आलू बुखारा, पाम, अमरूद व लुकाट के अनेक पौधे रोपे गए। शहीद सोमनाथ स्मारक समिति के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में कईं स्कूलों के अध्यापकों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शिरकत की।


कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए रजिस्ट्रार लोकायुक्त हरियाणा लालचंद विनायक ने कहा कि पूरे ब्रह्मांड में केवल एक ही धरती है और यहीं पर जीवन संभव है। लेकिन धरती का तापमान दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। वैश्विक ऊष्णता आज के समय की सबसे बड़ी समस्या बन गई है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में दिन में बहुत अधिक तापमान होने के कारण किसान दिन में खेत में काम नहीं कर पाते हैं। वे रात को लालटेन व लाइट की रोशनी में खेत में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर यूं ही तापमान बढ़ता गया तो पूरा जीवन-चक्र प्रभावित हो सकता है। आज जो फसलें हम उगाते हैं, वे शायद हमें ना मिल पाएं। उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए सुविधाएं तो बढ़ गई हैं, लेकिन प्रकृति को काफी नुकसान हो गया है। उन्होंने कहा कि धरती पर 71 प्रतिशत पानी है, लेकिन उसमें से 90 प्रतिशत पीने लायक नहीं है। जो पानी पीने लायक है, उसका ज्यादातार मनुष्य की पहुंच में नहीं है। ऐसे में यदि पानी का अंधाधुंध दोहन होता गया तो आने वाले समय में मनुष्य की जरूरत के पानी के लिए भी लाले पड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्कूल के अध्यापकों और विद्यार्थियों द्वारा स्कूल में पौधे लगाना और उनको पालना बहुत महत्वपूर्ण पहलकदमी है। यदि हमें अपनी धरती को बचाना है तो पौधों को लगाना और पालना बहुत जरूरी काम है। उन्होंने कहा कि पेड़ हमारी प्रकृति और संस्कृति की अनमोल धरोहर है। उन्होंने कहा कि ऐसी कोशिशें करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्कूल व शहीद सोमनाथ स्मारक समिति को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।


स्कूल के प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा, सतीश कांबोज, सुनील कुमारी, राजेश सैनी, नरेश कुमार मीत, बलराज कांबोज, भागवंती, रीना नरवाल, ईशा मुंजाल, सुदर्शन मदान,  मुकेश खंडवाल, गोपाल दास, ईएसएचएम मधु रानी, सोनिया खोखर, प्रीति आहुजा, प्रवीण कुमारी, स्नेह लता, गोपाल सिंह, जितेन्द्र कुमार, सुरेन्द्र कुमार, सुलोचना और ऊषा, धर्मबीर ने स्कूल की तरफ से मुख्य अतिथि को शॉल ओढ़ाकर और देस हरियाणा पत्रिका का ताजा अंक भेंट करके स्वागत किया। शहीद सोमनाथ स्मारक समिति से जुड़े नन्हेड़ा स्कूल के अध्यापक महिन्द्र खेड़ा ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए कहा कि प्रकृति प्रेम और सादगी दोनों आधारभूत सिद्धांत हैं, जिनसे समाज आगे बढ़ता है। उन्होंने नन्हेड़ा स्कूल में बागवानी के अनुभव सांझा किए।


अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि पर्यावरण पर मंडरा रहा खतरा हमारे सामूहिक प्रयासों से कम हो सकता है। उन्होंने खेतों में अवशेष जलाए जाने और सडक़ किनारे पेड़ जलाए जाने को लेकर चिंता जताई। हिन्दी अध्यापक नरेश कुमार मीत ने काव्यमयी भाषा में अपना संबोधन करते हुए कहा कि मानवता के सामने खड़े संकट से केवल पेड़ ही बचा सकता है। अंग्रेजी प्राध्यापक राजेश सैनी ने मुख्य अतिथि व कईं स्कूलों से आए अध्यापकों का आभार व्यक्त किया।


इस मौके पर अध्यापक मान सिंह चंदेल, सबरेज अहमद, देवेन्द्र देवा, उधम सिंह, धर्मवीर लठवाल, जसवंत बांकुरा, विवेक हलवाना, नरेंद्र बंटी, बंटी कांबोज, लाल सुदर्शन, शहीद सोमनाथ स्मारक समिति से गुंजन, हरियाली युवा संगठन से सूरजभान, केहर सिंह, प्रियंका, सार्थक, स्वाति, सुहानी, देवांशी, भारती, राहुल व खुशी उपस्थित रहे।


शहीद सोमनाथ स्मारक समिति की पर्यावरण दिवस मनाने की वर्षों पुरानी परंपरा रही है। इसलिए इस वर्ष भी पर्यावरण दिवस मनाए जाने को लेकर सोच-विचार बना हुआ था। अंतत: राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में दिवस मनानेे और पौधारोपण करने का निर्णय हुआ तो मुख्य अतिथि को लेकर पेंच फंस गया। जिला शिक्षा अधिकारी राजपाल चौधरी जी ने व्यस्तता की वजह से मना कर दिया। आखिर कौन हो इस दिन के लिए मुख्य अतिथि, जोकि पर्यावरण के सरोकारों से भी लैस हो और जिनका आना पूरी टीम में ऊर्जा का संचार कर दे। आखिर बातचीत में सेवानिवृत्त एचसीएस ज्यूडिशियरी श्री लालचंद विनायक जी का नाम आया। उनसे बात की गई और उनसे सहमति मिल गई तो सांस में सांस आई। लालचंद विनायक जी का आगमन, सहजता व सादगी के साथ उनकी स्कूल प्रांगण में प्रेरणादायी उपस्थिति व संवाद वास्तव में ही स्कूल व शिक्षा साथियों में उत्साह का सांचर कर गया।

अपने संबोधन में उन्होंने अपने बचपन के दिनों के मुश्किल भरे दिनों को याद किया। पेड़ों व पानी की स्थितियों को बयां किया। लोगों के प्रकृति के साथ संबंध व निर्भरता पर चर्चा की और मौजूदा वैश्विक, राष्ट्रीय व स्थानीय परिदृश्य पर गंभीर मंथन किया। पानी व  पर्यावरण के आज के संकट को लेकर गंभीर सवाल उठाए और हमारी भूमिका को रेखांकित किया। विनायक जी ने पूरी टीम का उत्साहवर्धन किया। शहीद उधम सिंह राजकीय महाविद्यालय में  प्राचार्या रही डॉ. जसबीर कौर ने विनायक जी के हाथों बच्चों के लिए सहयोग राशि भेजी। जिसके लिए स्कूल के अध्यापकों ने गहरी कृतज्ञता व्यक्त की है।

ग्रीन बोर्ड पर तैयार हुआ बैनर-


पांच जून से दो दिन पहले ही योजना बनी थी। आखिर पौधारोपण का दिन आ गया। हम बैनर तक बनवा नहीं पाए थे। स्कूल में पहुंच कर बैनर की कमी पूरी करने के लिए बारहवीं कक्षा की छात्रा स्वाति व सुहानी को लिखने की जिम्मेदारी दी गई। ग्रीन बोर्ड पर बैनर बनाना था। मैंने बैनर का मसौदा पहले ही तैया कर लिया था। लिखना शुरू करते ही हिन्दी अध्यापक नरेश मीत ने चॉक लेकर जिम्मेदारी संभाल ली और बहुत सुंदर बैनर तैयार कर दिया गया।

देवांशी लेकर आई घर पर तैयार किए गए पौधे-

पौधारोपण अभियान में विद्यार्थियों का सहयोग कमाल का था। नन्हेड़ा स्कूल के माली सुदर्शन लाल ने गड्ढ़े खोदने का जिम्मा लिया था। बच्चों ने आते ही लाल का हाथ बंटाना शुरू कर दिया। बच्चों ने गड्ढ़े बनाने और पौधे लगाने में बहुत ही उत्साह के साथ कार्य किया। अध्यापकों को हैरानी तब हुई जब एक छात्रा देवांशी अपनी माता प्रियंका के साथ स्कूल में आई। पौधारोपण अभियान में वे अपने घर में खुद के द्वारा तैयार किए गए  पौधे लेकर आए थे। उन्होंने उत्साह के साथ पौधे रोपे। अभिभावक प्रियंका ने पौधारोपण कार्यक्रम के बाद में भी पौधा लेकर आने की अनुमति मांगी तो हमारे लिए यह बहुत उत्साहवर्धक था। 

मिड-डे-मील वर्कर सलोचना व उषा ने अतिथियों के लिए चाय बनाई और विद्यार्थियों के लिए मीठा पानी तैयार किया। गर्मी में मीठे पानी की व्यवस्था एक जरूरी कार्य था। इसका सुझाव अर्थशास्त्र प्राध्यापक बलराज कांबोज ने दिया था। अध्यापक नरेश मीत व राजेश सैनी के प्रयासों से यह सोच साकार हुई। मीठा पानी पीकर विद्यार्थी पौधे लगा रहे थे, यह सुखद और प्राकृतिक वातावरण था।

-अरुण कुमार कैहरबा 





























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