Thursday, November 28, 2019

कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों के जरिए बांधा समां


राज्य स्तरीय कल्चरल फेस्ट-2019 दूसरा दिन

नीलोखेडी स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में चल रहे राज्य स्तरीय सांस्कृतिक महोत्सव के दूसरे दिन प्रतिभागी कलाकारों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और अपने कला के जरिये समां बांध दिया। महोत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रमों का शुभारंभ समग्र शिक्षा अभियान की जिला परियोजन संयोजक सपना जैन ने दीप प्रज्वलित करके किया। शुभारंभ के मौके पर फेस्ट के नोडल अधिकारी एवं खण्ड शिक्षा अधिकारी धर्मपाल चौधरी, उप जिला शिक्षा अधिकारी परमजीत चहल मौजूद रहे।
इस अवसर पर कलाकारों को संबोधित करते हुए नोडल अधिकारी धर्मपाल चौधरी ने कहा कि कला जीवन को साधने और सुंदर बनाने का जरिया है। प्रकृति जन्म से ही मनुष्य को कला प्रेमी बनाती है, लेकिन सामाजिक दायरों में फंस कर मनुशष्य कला से दूर होता जाता है। उन्होंने कहा कि कला से जुडे लोग जाति, लिंग, धर्म, क्षेत्र व भाषा की संकीर्णताओं में नहीं फंसते और लोगों को भी मन से आजाद प्रवृति का बनाते हैं। उन्होंने कहा कि कला कोई जुबान, मजहब व रंग नहीं होता। लेकिन कला सभी लोगों की जुबान, मजहब और रंगों का समावेश करती है। उन्होंने कहा कि कला के जरिये समाज को समृद्ध और संवेदनशील बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कल्चरल फेस्ट में भाग ले रहे नन्हें कलाकार इस बात को प्रमाणित कर रहे हैं कि वे सब एक हैं।
सपना जैन ने कहा कि कल्चरल फेस्ट में लडकों से कहीं ज्यादा लड़कियां हिस्सा ले रही हैं। समाज में लडकियों के प्रति परंपरागत सोच को सांस्कृतिक कार्यक्रम तोड रहे हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक कार्यक्रम में लडकियों का उत्साह देखते ही बनता है। उन्होंने लड़कियों के साथ आए अध्यापकों व उनके अभिभावकों की सराहना करते हुए कहा कि तमाम विपरीत मानसिकता के बावजूद उन्होंने लडकियों को मौका देकर महिला सशक्तिकरण के बढते कदमों को हौंसला दिया है।
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी राजपाल चौधरी ने कहा कि एक स्वस्थ माहौल में सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किसी उपलब्धि से कम नहीं है। बडी संख्या में आए कलाकारों को नीलोखेड़ी की जनता ने सर आंखों पर बिठाया है। रहने-खाने की व्यवस्थाओं में सभी का सहयोग कलाकारों को संबल दे रहा है। उन्होंने कहा कि विपरीत मौसम के बावजूद व्यवस्था में किसी तरह की कोई बाधा नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि कलाकारों को हर प्रकार की सुख-सुविधा पहुंचाने के लिए शिक्षा विभाग पूरी तरह मुस्तैद है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ऐसे मंचों से देश को बेहतरीन कलाकार मिलेंगे।
राजपाल चौधरी ने बताया कि नौवीं से बारहवीं कक्षा की स्किट स्पर्धा में हिसार की टीम ने पहला, अंबाला ने दूसरा और पानीपत की टीम ने तीसरा स्थान हासिल किया। करनाल की टीम को सांत्वना पुरस्कार के लिए चुना गया है। सांझी प्रतियोगिता में सोनीपत की टीम प्रथम, चरखी दादरी को द्वितीय, रेवाडी तृतीय और जींद को सांत्वना पुरस्कार मिला। एकल नृत्य में सोनीपत ने पहला, कैथल ने दूसरा, भिवानी ने तीसरा और रेवाडी को सांत्वना पुरस्कार मिला। समूह नृत्य में सोनीपत को पहला, रेवाडी को दूसरा, गुरूग्राम को तीसरा और कैथल को सांत्वना पुरस्कार के लिए चुना गया। समूह गान में कैथल को पहला, रेवाडी दूसरा, गुरूग्राम को तीसरा और करनाल को सांत्वना पुरस्कार मिला। रागणी प्रतियोगिता में कैथल ने पहला, फतेहाबाद दूसरा, रेवाड़ी तीसरा और सोनीपत ने सांत्वना पुरस्कार पाया। इस मौके पर रैडक्राॅस करनाल के जिला प्रशिक्षण अधिकारी एमसी धीमान की अगुवाई में स्वयंसेवियों द्वारा स्टाल लगाकर रैडक्राॅस के बारे में जानकारी दी रही है और जरूरत पडने पर प्राथमिक सहायता प्रदान की जा रही है।
इस मौके पर उप जिला शिक्षा अधिकारी विद्योत्मा, खंड शिक्षा अधिकारी चन्द्रेश विज, महावीर सिंह, प्रिंसिपल महेन्द्र सिंह नरवाल, श्याम लाल, विवेक सिंह, वीना, संजीव कुमार, उमा रेडू, दलबीर, धर्मबीर, अर्चना, दीक्षा, प्रवीन, वीरभान शर्मा, शरणपाल, राकेश राणा, सत्यपाल, महिन्द्र खेडा, अरुण कुमार कैहरबा, मान सिंह, सियाराम शास्त्री, अनिल सैनी, कुलदीप, रामनिवास सोलंकी, सुरेश फौजी, कप्तान सिंह, मुकेश कुमार उपस्थित रहे।

Wednesday, November 27, 2019

राज्य स्तरीय कल्चरल फेस्ट-2019 का हुआ शुभारंभ

संस्कृति बिना जीवन नीरस व बदरंग: राजपाल चौधरी

नीलोखेड़ी स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में लोक नृत्यों व गीतों के बीच में हषोल्लास और उमंग के साथ राज्य स्तरीय कल्चरल फेस्ट-2019 का आगाज हुआ। सहायक निदेशक नंद किशोर वर्मा, कार्यक्रम अधिकारी प्रमोद शर्मा व पूनम अहलावत की उपस्थिति में जिला शिक्षा अधिकारी रविन्द्र चैधरी और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी राजपाल चैधरी ने दीप प्रज्वलित करके कल्चरल फेस्ट की शुरूआत की। कल्चरल फेस्ट का संयोजन खण्ड शिक्षा अधिकारी एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी धर्मपाल चौधरी ने किया।
कल्चरल फेस्ट के जरिये नीलोखेड़ी की भूमि प्रदेश भर के स्कूलों से आई प्रतिभाओं के जोशो-खरोश से गुंजायमान हो गई। टीमों के पहुंचने से ऐसा लग रहा था मानो पूरा हरियाणा और उसकी संस्कृति नीलोखेड़ी
पहुंच गई हो। रंग-बिरंगी वेश-भूषाओं, आभूषणों से सजे-धजे किशोर व युवा कलाकार हरियाणा की लोक-संस्कृति के प्रतीक-मटकों, चरखों, पीढों, कूओं, चिमटों और वाद्य यंत्रों को लेकर महोत्सव स्थल पर पहुंचे तो दर्शकों ने उन्हें सर आंखों पर बिठाकर स्वागत किया। नीलोखेडी के लोगों के लिए यह सांस्कृतिक महोत्सव हरियाणा की संस्कृति को करीब से जानने समझने का अनूठा अवसर है। इस उत्सव को देखने के लिए शहर भर के लोग व संस्कृतिकर्मी आ रहे हैं।
कार्यक्रम नोडल अधिकारी धर्मपाल चैधरी ने बताया कि सांस्कृतिक महोत्सव में मंगलवार शाम से ही टीमों का आना शुरू हो गया था। सभी कलाकारों के रहने व खाने के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। उन्होंने बताया कि जींद, रेवाडी व नूंह से 70-70, पंचकूला से 74, सोनीपत से 75, सिरसा व पानीपत से 81-81, फतेहाबाद, रोहतक व फरीदाबाद से 64-64, अंबाला से 58, यमुनानगर से 80, महेन्द्रगढ व गुरूग्राम से 65-65, कुरुक्षेत्र से 61, चरखी दादरी से 35, हिसार से 79, करनाल से 46, पलवल से 43, कैथल व भिवानी से 73-73, झज्झर से 66 कलाकार कल्चरल फेस्ट में अपनी प्रस्तुतियां देकर अपने-अपने जिलों का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने बताया कि सभी कलाकार अनुशासनबद्ध होकर बेहतरीन प्रस्तुतियां दे रहे हैं, जिससे पूरा वातावरण हरियाणा की विविध सांस्कृतिक विरासत से सराबोर हो गया है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में पांचवीं से आठवीं के 136 व नौवीं से बारहवीं के 143 लडके तथा पांचवीं से आठवीं की 588 व नौवीं से 12वीं की 590 लडकियां इस महोत्सव में शिरकत कर रही हैं। उन्होंने कहा कि नीलोखेडी का सौभाग्य है कि उन्हें राज्यस्तरीय कार्यक्रम की मेजबानी का मौका मिला है, जिसे लेकर नीलोखेडी की जनता और शिक्षा जगत गदगद है। उन्होंने कहा कि मेजबान के नाते वे अतिथियों के स्वागत में कोई कसर नहीं छोडेंगे।

राज्य स्तरीय महोत्सव के मौके पर विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागियों द्वारा स्टाल लगाए गए हैं। स्काउट व गाइड के स्वयंसेवी लगातार कलाकारों व अतिथियों की सेवा कर रहे हैं।
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी राजपाल चैधरी ने कलाकारों व प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृति के बिना जीवन नीरस व बदरंग है। संस्कृति हमें पहचान और सम्मान देती है। उन्होंने कहा कि संस्कृति को जिंदा रखने व बढावा देने के लिए इस तरह के महोत्सवों का आयोजन किया जाता है। इस तरह के कार्यक्रमों में शिरकत करने वाले जहां अपनी संस्कृति से रूबरू होते हैं, वहीं अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन द्वारा आनंद और उत्साह का संचार भी करते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृति केवल वेश-भूषा, पहनावा व खानपान ही नहीं है, बल्कि विचारों व चिंतन से जुडी हुई प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि संस्कृति हमारे विकासक्रम की एक अहम उपलब्धि है। इसे संजोये रखना और इसका विकास करना शिक्षा का अहम कार्य है। इस मौके पर डाइट शाहपुर प्राचार्य रोहताश वर्मा, उप जिला शिक्षा अधिकारी परमजीत सिंह चहल सहित अनेक अधिकारी मौजूद रहे।