ब्याना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में सांस्कृतिक उत्सव की तैयारियां जोरों पर गांव ब्याना स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में जिला स्तरीय सांस्कृतिक उत्सव-2018 की तैयारियां जोरों-शोरों से की जा रही हैं। करनाल में दो दिन चलने वाले उत्सव की विभिन्न प्रतियोगिताओं में स्कूल की टीमें हिस्सा ले रही हैं। कक्षा छठी से आठवीं और नौवीं से बारहवीं वर्ग की लघु नाटिका प्रतियोगिताओं के लिए स्कूल की टीमों ने रविवार को भी प्राध्यापक बलराज मुरादगढ़ और कम्प्यूटर अध्यापक विनीत के नेतृत्व में अभ्यास किया।
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DAINIK JAGRAN 5-11-2018 |
हास्य-व्यंग्य से भरपूर भंडाफोड़ नाटक-
स्कूल के सौरभ, लवकेश, नैंसी, काजल, जागृति, साक्षी, सागर, प्रिंस व गौरव की टीम अपनी नाटिका द्वारा अंधविश्वास सहित अनेक प्रकार की सामाजिक कुरीतियों का भंडाफोड़ कर रही है। नाटक बच्चे के प्रति मां के प्रेम से शुरू होता है। इसमें बच्चे को स्कूल जाने से पहले मां प्यार से खिलाती है, लेकिन ठूंस-ठूंस कर फास्टफूड खिला देती है। बच्चा जाने को होता है तो बिल्ली के गुजरने से वह बच्चे को रोक लेती है। बच्चा परीक्षा में देरी से पहुंचता है। स्कूल का दृश्य हास्य से भरपूर है। बच्चों के लिए परीक्षाएं औपचारिकता ही हैं। स्कूल में परीक्षा देते हुए बच्चे के पेट में दर्द होने लगता है। उसे घर छोड़ा जाता है। फिर मां झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाती है। बाद में ढ़ोंगी बाबाओं का भंडाफोड़ होता है।नशे के खिलाफ जंग का ऐलान-
प्रिंस, अमृत, अमित, आशीष, सुषांत व मोहित की टीम का नाटक नशे के विरूद्ध आवाज उठाता है। नाटक में शराब, गुटके, तंबाकू का मानवीकरण किया गया है। वे अपनी भयावहता के बारे में दर्शकों को परिचित करवाते हैं। इनकी आदतों के कारण लोगों की दयनीय हालत को मार्मिक ढ़ंग से उकेरा गया है।बीड़ी-सिगरेट की आदत किस तरह से व्यक्ति को लाचार बना देती है। इनकी आदतों के कारण किन-किन बिमारियों के जाल में मनुष्य फंस जाता है। यह सब नाटक में दिखाया गया है। नाटक हरियाणवी बोली में है। नाटक की शुरूआत हरियाणा की तरक्की से होती है और फिर नशे की बुराई की चिंताजनक स्थिति को उभारा जाता है।नाटकों की रिहर्सल करवाते हुए कहा अरुण कैहरबा ने कहा कि नाटक में विभिन्न कलाओं का समावेश होता है। नाटक टीम वर्क है। यही कारण है कि इससे मिल कर काम करने की संस्कृति का विकास होता है। उन्होंने विद्यार्थियों को स्टेज के इस्तेमाल, संवाद अदायगी, हाव-भाव-भंगिमाओं, नाटक में संबंधों को स्थापित करने सहित विभिन्न जानकारियां दी।
Bhut Badiya sir ji
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