रेलगाड़ी के अनुभव।
अरुण कुमार कैहरबा
रेलगाड़ी का सफर भी सघन अनुभवों से गुजरने जैसा होता है। 20दिसंबर, 2017को हम केरल में समुद्र तटीय अध्ययन शिविर के लिए हरियाणा के 245 प्रतिभागियों के साथ चंडीगढ़ से चंडीगढ़-कोचूवेली ट्रेन से रवाना हुए। रेलगाड़ी की एस-1बोगी में करनाल जिला के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, गंगाटेहड़ी पोपड़ा की 10प्रतिभावान छात्राओं के साथ हम तीन अध्यापक सवार हैं। बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है।![]() |
रेलगाड़ी में करनाल जिले के गांव गंगाटेहड़ी पोपड़ा स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की छात्राएं वह अध्यापक। |
मैं रेलगाड़ी की यात्रा के अनुभव की बात कर रहा था। हम अंबाला पहुंचे थे कि नीचे से आने वाले यात्रियों की चहल-पहल तेज हुई। बोगी में जहां हम बैठे थे, वहीं पहले सेना की वर्दी में सजा एक युवक आया। पीछे उसके साथियों का समूह। कई भारी-भरकम थैलों और बंडलों को लिए युवकों को देख कर हैरानी हुई। साथी अध्यापक महिन्द्र ने ठेठ हरियाणवी अंदाज़ में तंज कसा कि भैया इतना सामना कैसे? उन्हें बात कुछ समझनहीं आई और वे अपना सामान जंचाने में लगे रहे। यात्रा जारी थी। इतना तो स्पष्ट हो चुका था कि युवक फौजी हैं। युवक का फोन आया तो मालूम हुआ कि वह केरल से है। वह मलयालम में बात कर रहा था।
रेलगाड़ी में हमारी सीट के सामने एक वृद्ध महिला सवार हैं, जिसे कोटा उतरना है। महिला सवार होते ही सो गई। मथुरा के बाद नींद से जगी है और इस चिंता में है कि कोटा चला ना जाए। डिब्बे में उन बुजुर्ग महिला की उपस्थिति बहुतही सुस्त है। गाड़ी में एक और यात्रियों का बड़ा समूह आया तो बोगी में हलचल हुई। बोलने में मीठे। इस समूह में महिलाएं अधिक हैं। पुरुष भी हैं। यह समूह धैर्यवान दिखाई देता है, लेकिन अपने थैलों को जंचाने के मामले में जल्दबाज है। बाद में इन्होंने गीत गाने शुरूकर दिए। मलयालम, अंग्रेजी और हिंदी में भजन। ईसा मसीह, ओम, देवी देवताओं आदि के सभी। और रात को खाना खाने के बाद रिकॉर्ड लगा दिया है। ध्यान की मुद्रा बना कर प्रवचन सुने जा रहे हैं। हाथों की विशेष मुद्राएं बना कर पूजा-अर्चना करने जैसा हो रहा है।
साथ ही बैठे फौजी से बातचीत का सिलसिला शुरू होता है। पता चलता है कि वह अपने घर केरल जा रहा है। बातचीत में ही पता चलता है कि उसका घर कालीकट में है। उस सह यात्री का नाम राहुल है। घनिष्ठ बातचीत में उसने अपने जीवन और केरल के बारे में अनेक बातें बताई।
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रेलगाड़ी में केरल निवासी राहुल फौजी के साथ विचार विमर्श करते अरुण कैहरबा। |
केरल के बारे में राहुल जी ने महत्त्वपूर्ण जानकारी दी। केरल में भी निजी स्कूल बढ़ रहे हैं। सरकार, प्रशासन और जन प्रतिनिधियों का शिक्षा पर बल होता है। निजी क्षेत्र के लोगों के लिए भवन निर्माण की अनुमति लेने के लिए सरकारी स्कूलों में सुधार करने जैसी शर्त अच्छी लगी। कुछ कंपनियों ने स्कूलों की ढ़ांचागत स्थिति में आमूलचूल परिवर्तन किया है। हरियाणा व उत्तरी भारत के राज्यों के लिए यह हैरानी की बात है। पंचायतीराज राज व्यवस्था भी वहां के विकास में केन्द्रीय भूमिका निभाती है। धर्म-जाति की संकीर्णता केरल में दिखाई नहीं देती है। सभी दसवीं बारहवीं तो करते ही हैं।
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