Monday, August 18, 2014

काव्य-तरंग-4

नज़दीक देख चुनाव को नेताओं में हडक़म्प।
इस दल से उस दल में लगा रहे हैं जम्प।
लगा रहे हैं जम्प दल-दल में, हड़बड़ी देखो तो।
लाभ-लोभ, स्वार्थ के फेर में गड़बड़ी देखो तो।
‘स्वार्थियों से घिरा जनतंत्र है’- हो जाती तसदीक।
जब-जब भी चुनाव कहीं आते हैं नज़दीक।
                             -अरुण कुमार कैहरबा

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