Monday, August 4, 2014

काव्य-तरंग-1

रोटी-चावल, दाल में मखनी
नहीं मिलेगी-नहीं मिलेगी।
प्याज-टमाटर की अब चटनी
नहीं मिलेगी-नहीं मिलेगी।
कंपनियों को छूट मिलेगी,
हमको-तुमको लूट मिलेगी।
शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा
नहीं मिलेगी-नहीं मिलेगी।
अच्छे दिनों के वादे मिलेंगे,
और चाहिए? नारे मिलेंगे
सपने साकार करे जो करनी,
नहीं मिलेगी-नहीं मिलेगी।

    -अरुण कुमार कैहरबा

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