आंए मत समझो बेटी बोझ.. .. ..
लोहड़ी उत्सव में बेटी बचाने का किया आह्वान।
बुलबुल नाट्य मंच ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देकर बांधा समां।
अरुण कुमार कैहरबा
कैहरबा गांव में बुलबुल नाट्य मंच द्वारा 13 जनवरी 2012 को बेटी के नाम लोहड़ी मनाई गई। गांव की चौपाल में आयोजित भव्य समारोह में मंच के कलाकारों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। वरिष्ठ नागरिक हरिचंद गणहोत्रा, बलवंत सिंह व माम चंद सैनी ने लोहड़ी को प्रज्वलित किया। अग्रि के गिर्द घूमते हुए ग्रामीणों ने मत समझो बेटी बोझ, बेटी सै घर का चिराग आदि गीत गाकर बेटियों को बचाने का संकल्प लिया। समारोह की अध्यक्षता मंच के संयोजक गोपाल व साक्षी ने की।
समारोह में सबसे पहले मंच के कलाकारों-अप्सरा, ज्योति, मीना, पूजा, नेहा, निशा, अंजू, मुस्कान, सुनीता, अभिषेक, रविन्द्र, कोमल, दीपा, खुशी, साक्षी, बंसी, गोपाल, पूनम, कमलेश, मंजीत, सुमन, पूजा, मुकेश, दलीप, रजनी, प्रियंका, गुंजन, नरेश, नरेन्द्र व अरुण ने विश्वास गीत गाते हुए इस धरती को मिलकर स्वर्ग बनाने का आह्वान किया। इसके बाद गांव के बच्चों को एकाग्रता के खेल करवाए गए। विभिन्न खेलों में अव्वल रहने वाले बच्चों को पुरस्कार वितरित किए गए। मंच के कलाकारों ने कहा कि समाज में नए समय के अनुकूल नई परंपराएं और रीतियां विकसित करने की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए रंगकर्मी नरेश नारायण ने कहा कि आज लड़कियों की घटती संख्या को देखते हुए लोहड़ी को बेटियों को समर्पित रखा गया है। उन्होंने कहा कि नाट्य मंच एक नई शुरूआत नाटक की तैयारी में लगा हुआ है जिसमें लड़कियों व महिलाओं को केन्द्र में रखकर समाज को देखने का संदेश दिया गया है।
इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत सैनी ने ग्रामीणों को देश की पहली शिक्षिका सावित्री बाई फुले के बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर नारी मुक्ति का संदेश दिया था। उन्होंने कहा कि मौजूदा पूंजीवादी व्यवस्था में उनकी कुर्बानियों को भुला दिया गया है। उन्होंने ग्रामीणों को सावित्री बाई फुले के जीवन से सीखने की अपील की। कार्यक्रम में शहीद सोमनाथ स्मारक समिति से जुड़े सुभाष लांबा, नरेश मीत, गुंजन, गीता शाहपुर व अरुण कुमार ने भी अपने विचार रखे।
इस मौके पर नत्थू लाल पूंडरीक, पंचायत सदस्य श्रीपाल, सुनील, सुनील शर्मा, धर्मेन्द्र, रवि, प्रदीप, सुरेन्द्र, धनीराम जैनपुर सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
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