कबीर, रसखान व ललद्यद की रचनाएं साहित्य की अनमोल धरोहर: अरुण कैहरबा
कविता पाठ प्रतियोगिता में ललद्यद टीम ने पाया पहला स्थान
हिन्दी शिक्षण को रोचक व उपयोगी बनाने के लिए प्रतियोगिता का आयोजन
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित कविता पाठ प्रतियोगिता में प्रथम आई ललद्यद टीम की छात्राओं को सम्मानित करते प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा व बलविन्द्र सिंह।

इन्द्री, 23 जुलाई
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में हिन्दी शिक्षण को रोचक बनाने के उद्देश्य से विद्यार्थियों को पढ़ाई गई कविताओं पर आधारित कविता पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा के नेतृत्व में आयोजित प्रतियोगिता में ललद्यद टीम के विद्यार्थियों ने पहला स्थान प्राप्त किया। कबीर और रसखान टीम क्रमश: दूसरे व तीसरे स्थान पर रही। राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक बलविन्द्र सिंह व अरुण कैहरबा ने विजेता टीम को पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
प्रतियोगिता से पूर्व विद्यार्थियों को कवियों के नाम के आधार पर टीमों में बांटा गया। उसके बाद नाम के अनुकूल ही विद्यार्थियों ने नाम के अनुकूल ही कवियों की कविताओं का सस्वर वाचन किया। ललद्यद टीम की ज्योति, रूबी, रीतू, नेहा व पूर्वी ने कश्मीर की प्रसिद्ध संत कवयित्री ललद्यद के वाख गाकर सुनाए। रीतिका, साहिबा, वैष्णवी, सृष्टि व राधिका ने कबीर की साखियों और पदों का गायन किया। लविश, मानव, शारूख, समीर ने रसखान के सवैयों की प्रस्तुति दी। ललद्यद टीम में शामिल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। प्रथम स्थान पर आने वाली ललद्यद टीम को पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि भक्तिकाल में अनेक महत्वपूर्ण कवि और कविताएं प्रकाश में आए, जिनकी रचनाएं साहित्य की अनमोल धरोहर हैं। कबीर, रसखान व ललद्यद भक्ति की कविताओं के लिए जाने जाते हैं। कबीर संत, कवि, क्रांतिकारी और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिये समाज की बुराईयों को दूर करने की कोशिश की। रसखान कृष्ण भक्त कवि थे, जिन्होंने सामाजिक व साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए विशेष रूप से काम किया। ललद्यद 14वीं सदी की संत एवं सूफी परंपरा की प्रसिद्ध कवयित्री हैं, जिन्होंने कश्मीरी भाषा में अपनी कविताएं लिखी। जिस प्रकार कबीर की साखियां, रसखान के सवैये, मीरा के पद और तुलसी की चौपाई प्रसिद्ध हैं, उसी प्रकार से ललद्यद के वाख प्रसिद्ध हैं। उन्होंने बताया कि हिन्दी शिक्षण को रोचक एवं उपयोगी बनाने के लिए कविता पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। बलविन्द्र सिंह ने कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताओं से विद्यार्थियों को जो सीखने का मौका मिलता है, उसका कोई मुकाबला नहीं है।
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INDORE SAMACHAR |
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