Sunday, April 14, 2024

DR. BHIMRAO AMBEDKAR JAYANTI CELEBRATED IN VILLAGE CHHAPAR

जब तक सूरज-चांद रहेगा, बाबा साहेब तेरा नाम रहेगा

छापर में धूमधाम से मनाई डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती

सरपंच श्याम सिंह ने काटा केक और बच्चों को बांटी स्टेशनरी

डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्ययनशीलता से प्रेरणा लें 

इन्द्री,14 अप्रैल 

गांव छापर में डॉ. भीमराव अंबेडकर जागृति मंच के तत्वावधान में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती धूमधाम से मनाई गई। मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए गांव के सरपंच श्याम सिंह ने केक काटा और उपस्थित ग्रामीणों ने जय भीम, जब तक सूरज-चांद रहेगा, बाबा साहेब तेरा नाम रहेगा, डॉ. भीमराव अंबेडकर अमर रहे व अन्य नारों के साथ एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। मुख्य वक्ता के रूप में हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता जागृति मंच के संयोजक राजेन्द्र कुमार व अध्यापक नरेश मीत ने की। मंच संचालन राजेश कुमार ने किया। समारोह में गांव के कईं बच्चों ने गीत, कविता व भाषण के जरिये डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। अपनी प्रस्तुतियां देने वाले तथा उपस्थिति सभी बच्चों व विद्यार्थियों को ग्राम सरपंच श्याम सिंह ने स्टेशनरी भेंट की और मन लगा कर पढऩे का संदेश दिया।



अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर देश ही नहीं पूरी दुनिया के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे व्यक्ति थे। उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों में अपना कोर्स पूरा करने के लिए ही पढ़ाई नहीं की, बल्कि समाज की संरचना को समझने और बदलने के लिए आजीवन अध्ययन किया। उनकी अध्ययनशीलता आज भी सभी के लिए मिसाल है। उन्होंने 24 घंटों में से 21-21 घंटे पढ़ाई की। देश व दुनिया के धर्मशास्त्रों, दुनिया भर के देशों के संविधान, विभिन्न विचारकों की किताबों का उन्होंने अध्ययन किया। भारत में महात्मा बुद्ध, संत कबीर और महात्मा ज्योतिबा फुले के विचारों ने उन्हें खास प्रभावित किया। उन्होंने गैरबराबरी, अन्याय और भेदभाव पर आधारित व्यवस्था को बदलने के लिए मौलिक विचार दिए और महत्वपूर्ण पहलकदमियां की। देश के संविधान निर्माण में जितना संभव हुआ, विचारों को समाहित करके एक बेहतर राजनीतिक व्यवस्था की नींव रखी। अरुण कैहरबा ने गांव में शिक्षा का माहौल बनाने के लिए पुस्तकालय की स्थापना करने का संदेश दिया।


ग्राम सरपंच श्याम सिंह ने कहा कि लोगों द्वारा यह मानना कि डॉ. अंबेडकर ने केवल अनुसूचित जाति के लोगों के लिए ही काम किया, यह सही नहीं है। अंबेडकर ने अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं और समाज के हर वंचित वर्ग के लोगों के लिए कार्य किया। संविधान इसका जीवंत दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि हमें अंबेडकर के विचारों को जानने के लिए पढऩा चाहिए और उनके दिखाए रास्ते पर आगे बढऩा चाहिए।



हिन्दी अध्यापक नरेश मीत ने अपने संबोधन में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो के नारे को याद करवाते हुए कहा कि यह केवल नारा ही नहीं, बल्कि बाबा साहब का दर्शन है। उन्होंने कहा कि कोई भी समाज बुराईयों से बचते हुए शिक्षा के मार्ग पर चलते हुए ही आगे बढ़ सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता गुंजन कैहरबा ने कहा कि हमें डॉ. अंबेडकर के संदेश को भूलना नहीं चाहिए। बल्कि संदेश को आत्मसात करने के लिए पढऩा चाहिए। छात्र अरुण, आयूषि, गुंजन, वंशिका, शगुन, अमित ने अपनी प्रस्तुतियों से खूब तालियां बटोरी। डॉ. भीमराव अंबेडकर जागृति मंच के संयोजक राजेन्द्र कुमार ने आए अतिथियों व ग्रामीणों का आभार व्यक्त किया। 

इस मौके पर प्राध्यापक रमेश कुमार, पंचायत सदस्य बलिंद्र, करनैल सिंह, धर्मवीर, महिन्द्र सिंह, बलिंद्र कुमार, धर्म जीत, देश राज, पूर्व सरपंच पविन्द्र कौर सहित अनेक ग्रामीण मौजूद रहे।








Tuesday, April 2, 2024

PRAVESH UTSAV IN GMSSSS BIANA

नए संकल्प लेकर नए सत्र में बढ़ें आगे: अरुण कैहरबा

कहा: अच्छी आदतों का हमारे जीवन में अहम स्थान

प्रवेश उत्सव में नए विद्यार्थियों का किया जोरदार स्वागत
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित प्रवेश उत्सव में नए विद्यार्थियों का स्वागत करते अध्यापक। 

करनाल, 2 अप्रैल 

गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में धूमधाम से प्रवेश उत्सव आयोजित किया गया। स्कूल में छठी और नौवीं कक्षा में नए विद्यार्थियों का जोरदार स्वागत किया गया। समारोह में विद्यार्थियों ने अपना परिचय दिया और सभी ने तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ विद्यार्थियों की पहली अभिव्यक्ति का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि किसी भी बच्चे के जीवन में स्कूल का बदलना या फिर एक पड़ाव पार करके अगले पड़ाव में कदम रखना काफी महत्वपूर्ण होता है। इससे उनके जीवन की दशा व दिशा तय होती है। लेकिन नए स्कूल के नए परिवेश में पहली बार आते हुए अनेक प्रकार की आशंकाएं बच्चे लेकर आते हैं। उनके मन में कईं प्रकार के संकोच होते हैं। बच्चों को नए स्कूल के विभिन्न स्थानों के बारे में पता भी नहीं होता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में पुराने विद्यार्थियों का दायित्व है कि वे नए विद्यार्थियों के लिए सहयोग का हाथ बढ़ाएं ताकि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े। अरुण कैहरबा ने कहा कि नए सत्र में हमें नए संकल्प, नई सोच और नए सपने लेकर आगे बढऩा है। पुरानी कमजोरियों व बुरी आदतों से छुटकारा पाना है। अपनी रूचियों, अभिरूचियों व सकारात्मक पक्ष की पहचान करनी है, उसे उजागर करना है और उसका विकास करना है। उन्होंने कहा कि किसी भी बच्चे के जीवन में अच्छी आदतों का आगे बढऩे में अहम स्थान होता है। अच्छी आदतों को अपनाते हुए और बुरी आदतों का त्याग करते हुए सभी बच्चों को शिक्षा के पथ पर निरंतर आगे बढऩा है। कार्यक्रम का संचालन डीपी रमन  बग्गा ने किया। 

स्कूल में आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित करते हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा।

स्नेहा, सिमरण व कृति ने हिन्दी वर्तनी खेल प्रतियोगिता में पाया पहला स्थान-

नए सत्र की शुरूआत के उपलक्ष्य में विभिन्न कक्षाओं में रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन किया गया। गतिविधियों में सक्रिय हिस्सेदारी करने पर विद्यार्थियों को  पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। छठी कक्षाओं में पार्थ ने गुरु-चेला कहानी सुनाई। अस्मिता ने कविता का वाचन किया। दसवीं सी में आयोजित वर्तनी परीक्षण में दीपिका ने पहला, सिमरण ने दूसरा और शीतल ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। 12वीं बी में आयोजित हिन्दी वर्तनी खेल प्रतियोगिता में स्नेहा ने पहला और संजना ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। नौवीं ए में कृति ने पहला, मुस्कान ने दूसरा और उदित ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। दसवीं बी में आयोजित अंताक्षरी शब्द प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विजेताओं को हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इस मौके पर प्राध्यापक विनोद भारतीय, सतीश राणा, सलिन्द्र मंढ़ाण, राजेश सैनी, बलराज कांबोज, सीमा चहल, राजेश कुमार, डॉ. महाबीर सिंह, संजीव कुमार, सन्नी चहल, मुकेश खंडवाल, संदीप कुमार, गोपाल दास, नरेश मीत, निशा कांबोज, रमन सैनी, संगीता, मीना उपस्थित रहे।




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