हिन्दी जन-जन की भाषा
हिन्दी पखवाड़े के उपलक्ष्य में साहित्यकारों ने रखे विचार
भाषा, साहित्य और तकनीक के विभिन्न पहलुओं पर सांझा किए अनुभव
अरुण कुमार कैहरबा
दिवस के अवसर पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) तेजली के द्वारा ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में स्थानीय साहित्यकारों ने हिन्दी भाषा, साहित्य और तकनीक के विभिन्न पहलुओं पर विचार व्यक्त किए और अपनी रचनाएं पढ़कर साहित्य की संवेदनाओं पर चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाइट प्राचार्या आदर्श सांगवान ने की, संयोजन डाइट के हिन्दी विशेषज्ञ तरसेम चंद और संचालन राजकीय उच्च विद्यालय करेड़ा में हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने किया। डाइट में वरिष्ठ प्राध्यापक सुरेंद्र पाल अरोड़ा ने सभी साहित्यकारों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। एससीईआरटी गुरुग्राम की विशेषज्ञ सुमिता रांगी ने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के आयोजनों की महत्ता को रेखांकित किया।
हिन्दी सामर्थ्यवान भाषा: सांगवान
डाइट प्राचार्या आदर्श सांगवान ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी बहुत सामर्थ्यवान भाषा है। समाज के लोगों और बच्चों को इसका प्रयोग करने में संकोच और झिझक नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक दिन के हिंदी दिवस से काम चलने वाला नहीं है। हमें हिंदी में अपनी भावनाएं और विचार प्रकट करने में सक्षम होते हुए हर दिन को हिंदी दिवस की तरह मानकर चलना चाहिए।विद्यार्थियों से अधिकाधिक संवाद करें अध्यापक: अरोड़ा
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सुरेंद्र अरोड़ा |
संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए वरिष्ठ प्राध्यापक सुरेंद्र अरोड़ा ने कहा कि हिंदी पखवाड़े पर स्कूलों में जो प्रतियोगिताएं हुई हैं, उनमें विद्यार्थियों को लेखन व भाषण के अवसर मिले हैं। विद्यार्थियों के लिए ऐसे अवसर निरंतरता में मिलने चाहिएं। उन्होंने कहा कि हिन्दी ही नहीं सभी अध्यापकों की जिम्मेदारी है कि वे विद्यार्थियों के साथ अधिक से अधिक संवाद करें। विद्यार्थियों को संवेदनशील और विचारशील नागरिक बनाकर ही हम बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं। यह कार्य भाषा की कक्षा में अधिक होता है।हिन्दी के लिए दो आखिर क्यों: तरसेम
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तरसेम चंद |
डाइट तेजली में हिंदी प्राध्यापक तरसेम चंद ने कहा कि 14सितंबर, 1949 को हिन्दी को संविधान में राजभाषा बनाए जाने का निर्णय किया गया। इसलिए प्रति वर्ष 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि 'हिंदी के लिए दो दबाएं' जैसे वाक्य और 90 प्रतिशत लोगों द्वारा अंग्रेजी में हस्ताक्षर हिंदी की स्थिति को जाहिर करते हैं। इसके बावजूद सड़क से संसद और साहित्य से सिनेमा तक हिंदी का बोलबाला है। हिंदी देश के लोगों को जोड़ने का काम करती रही है और करती रहेगी। उन्होंने बताया कि हिंदी पखवाड़े के उपलक्ष्य में डाइट के निर्देशन में स्कूल स्तर से लेकर जिला स्तर तक नो विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। जिला स्तर का परिणाम एससीईआरटी गुरुग्राम में भेज दिया गया है।किताबें पढ़ने का समय सिकुड़ रहा: खारवन
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विनय मोहन खारवन |
प्रसिद्ध लघु कथाकार विनय मोहन खारवन ने अपनी लघु कथा सुनाते हुए बताया कि लघु कथा थोड़े में ज्यादा कहने की विधा है। शादी का एल्बम एक उपन्यास की तरह होता है, जिस के अलग-अलग अध्याय हैं। लघु कथा छोटे-छोटे क्षणों की संवेदना को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करती है। लघु कथा का अंत प्रभावी होना चाहिए। ततैये के डंक की तरह लघु कथा का असर होता है। उन्होंने अपने व्यंग्य 'चलो हिंदी डे सेलिब्रेट करते हैं' का संदर्भ देते हुए भाषा के शुद्ध तावादी स्वरूप को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि आज किताब पढ़ने का समय लगातार सिकुड़ता जा रहा है। लेकिन किताबों का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने विद्यार्थियों को किताबों के साथ दोस्ती बनाने का संदेश दिया।तकनीक ने हिंदी को लगाए पंख: शर्मा
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ब्रह्म दत्त शर्मा |
कहानीकार ब्रह्मदत्त शर्मा ने 'हिंदी और तकनीक' विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि तकनीक ने हिंदी को आगे बढ़ाने में क्रांतिकारी भूमिका निभाई है। आज हम पलक झपकते ही अपना संदेश हिंदी में टाइप कर सकते हैं। यूनिकोड ने कंप्यूटर पर लिखना और छपना आसान किया। आज हर रोज हिन्दी वैबसाइट, ब्लॉग, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर बड़ी संख्या में रचनाएं डाली जाती हैं। उन पर चर्चा होती है। तकनीक ने किताबों का प्रकाशन आसान बनाया है। किताबों का आकर्षण बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि किताबों की संख्या तो बढ़ी है। इंटरनेट के माध्यम से किताबों और लिखित सामग्री का प्रसार भी हुआ है। लेकिन किताबों को पढ़ने की प्रवृत्ति कम हुई है। हिंदी दिवस पर हमें अधिक से अधिक अच्छे किताबों को पढ़ने का संकल्प करना चाहिए।अभिभावकों में अंग्रेजी की लालसा ने बिगाड़े हालात: भारतीय![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiF_NJwconwDORNDItxqEEIPb6b9pdTSum49PbiF-kZhoGVejunyhiHXDzExNia0t25Q9W4XQHm7YSIzLf8TO_Wp99QjOOmdjEHfwwZjepcXC9OjYVs6leZecdWX0hzKu-bRZ1lAVus-d_b/w142-h142/BLDEV+RAJ+BHARTIYA.jpg) |
बलदेव राज भारतीय |
साहित्यकार बलदेव राज भारतीय ने 'हिंदी के मार्ग में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों' पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अंग्रेजी के प्रति मोह के कारण हिंदी और मातृभाषाओं की घोर उपेक्षा हो रही है। माता-पिता की अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए दीवाने हुए जा रहे हैं। सरकारी स्तर पर भी अंग्रेजी को बढ़ावा देना की नीतियों का ही अनुसरण हो रहा है। बैंकों, कार्यालयों और न्यायालयों में अंग्रेजी का ही बोलबाला है। उन्होंने कहा कि आजादी के संघर्षों में हिंदी साहित्यकारों ने ना केवल कलम का सिपाही बनकर गुलामी की बेड़ियों को काटने का प्रयास किया बल्कि स्वयं जोलों में सजाएं काटी। प्रेमचंद के सोजे वतन सहित अनेक साहित्यकारों की किताबों को अंग्रेजों ने प्रतिबंधित कर दिया था। उन्होंने अपनी कविता कशमकश भी सुनाई।
हिन्दी सतत प्रवाहमान: वत्स![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhlTf3HIOxpKpXp7DcZ_kZlGFjQBo-S7fBEF7MdWeMyWLbAv5B8XXFy-dMhDAeRvHvmrpWKO9xpS3Pbyhwm3jQLqDCHoIAzy-B_DqNv-N9WIOKSbtkiwk5THrPljsuzXLyEP7pBpaf5f-mT/w94-h114/UMESH+PRATAP+VATS.jpg) |
उमेश प्रताप वत्स |
साहित्यकार उमेश प्रताप वत्स ने अपनी तीन लघु कथाएं सुनाई और एक कविता पढ़ने के साथ-साथ हिंदी के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हिंदी का इतिहास पुराना है। हिंदी नदी की तरह से सतत प्रवाहमान है। उन्होंने कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र और प्रेमचंद जैसे साहित्यकारों ने हिंदी को गौरवान्वित किया है।
सारे भारत की शान है हिंदी: अंजुम
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संजीव अंजुम |
प्रसिद्ध गजलकार संजीव अंजुम ने हिंदी की विशेषताओं को रेखांकित करने वाली अपने ग़ज़ल सुना कर सबका मन मोह लिया। उन्होंने अपनी ग़ज़ल में कहा-कितनी मीठी ज़बान है हिंदी।
सारे भारत की शान है हिंदी।
जैसी लिखने में वैसी पढ़ने में
कितनी सादा ज़बान है हिंदी।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में सबसे ज्यादा भाषा प्रदूषित हुई है। शब्दों के मर्म को पहचानने वाले कम लोग रह गए हैं। भाषा में खिचड़ी पकाने की रिवायत बढ़ती जा रही है। ऐसे में ग़ज़ल और कविता की गहराई तक पहुंचना मुश्किल होता गया है। ऐसे में हिंदी दिवस पर सभी भाषा प्रेमियों की यह जिम्मेदारी बनती है कि भाषा संवेदनाओं से दूर ना हो।
हिन्दी पत्रकारिता में असीम अवसर: कैहरबा
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अरुण कुमार कैहरबा |
साहित्यकार अरुण कुमार कैहरबा ने 'हिंदी पत्रकारिता में अवसर' विषय पर बोलते हुए कहा कि आज हिंदी समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, टीवी चैनल, वेबसाइट और अन्य मंचों पर हिंदी का खूब प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे में रोजगार के अवसर भी बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं। पत्रकारिता में कैमरे के सामने और कैमरे के पीछे लेखन, वाचन, संपादन सहित अनेक कार्य हैं। विद्यार्थियों को अपनी रूचि के अनुसार अपनी प्रतिभा को निखारने के अवसर मिलने चाहिएं। उन्होंने कहा कि पढ़े-लिखे वर्ग के द्वारा ही हिंदी को दोयम दर्जे की भाषा माना जाता है। आम लोग तो हिंदी को जीते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को बेबाकी से हिंदी में बोलने और अपनी भावनाओं-विचारों को व्यक्त करने का आह्वान किया।संगोष्ठी में बीआरपी सुरेश कुमार, रजनी देवी, प्रमोद कुमार, संजीव कुमार आदि ने हिंदी पखवाड़ा की खंड स्तर की रिपोर्ट प्रस्तुत की और विद्यार्थी रितु ,मुस्कान, अनुष्का, शिवम ने कविता वाचन के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। संगोष्ठी के सफल संचालन में डाइट फैकल्टी अशोक कुमार राणा, अमरजीत सिंह, दुष्यंत चहल, तेजपाल वालिया का सहयोग रहा।
-अरुण कुमार कैहरबा
हिन्दी प्राध्यापक
राजकीय उच्च विद्यालय, करेड़ा खुर्द (यमुनानगर)
घर का पता- वार्ड नं.-4, रामलीला मैदान
इन्द्री, जिला- करनाल, हरियाणा
मो.नं.-9466220145