समावेशी शिक्षा में सबसे बड़ा अवरोध नकारात्मक दृष्टिकोण:अरुण। समावेशी शिक्षा पर व्याख्यान का आयोजन।
इन्द्री, 7 मई
स्थानीय ज्ञान भारती कॉलेज ऑफ एजूकेशन में समावेशी शिक्षा पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान के दौरान मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए सर्व शिक्षा अभियान में दृष्टिबाधित बालकों के विशेषज्ञ एवं विशेष अध्यापक अरुण कुमार ने कहा कि जात-गोत, बोली-भाषा, क्षेत्र और लैंगिक संकीर्णताओं में उलझे हुए समाज में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा का लक्ष्य बेहद महत्वाकांक्षी व चुनौतिपूर्ण है। सामान्य बच्चों के साथ ही सामान्य स्कूलों में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रबंध करके ही समावेशी शिक्षा की आवधारणा को साकार किया जा सकता है। लेकिन इसमें सबसे बड़ा अवरोध समाज में उनके प्रति व्याप्त नकारात्मक दृष्टिकोण व धारणाएं हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में लंबी छलांग लगा चुकने वाले समाज में आज भी विशेष आवश्यकता वाले बच्चों व व्यक्तियों को विकलांग, अपंग व अपाहिज समेत अनेक प्रकार से नकारात्मक शब्दावली द्वारा अपमानित किया जाता है। उन्होंने कहा कि समावेशी शिक्षा के लिए इस प्रकार की नकारात्मक शब्दावली के स्थान पर सकारात्मक शब्दावली का प्रचार-प्रसार किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समारात्मक दृष्टिकोण से उपजी शब्दावली के रूप में विशेष आवश्यकता वाले बच्चे व भिन्न प्रकार से योग्य जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाना जरूरी है। अरुण कुमार ने कहा कि बाधित बच्चों के लिए अनुकूल स्कूल में ढ़ांचागत बदलाव करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान द्वारा रैंप व स्पेशल टॉयलेट बनाए जा रहे हैं। खण्ड स्तर पर सामान्य अध्यापकों का विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के संदर्भ में मार्गदर्शन करने के लिए अलग-अलग विशेषज्ञता वाले तीन विशेष अध्यापकों की व्यवस्था की गई है। साथ ही उन्होंने इसको अपर्याप्त प्रबंध बताते हुए कहा कि समावेशी शिक्षा को लागू करने के लिए प्रत्येक सामान्य स्कूल में कम से कम एक विशेष अध्यापक व संसाधन कक्ष सुविधा उपलब्ध करवाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कॉलेज के डी.एड. व बी.एड. के विद्यार्थियों को विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए जागरूकता के वाहक बनने का आह्वान करते हुए कहा कि भिन्न प्रकार से योग्य लोगों के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने के लिए नवजागरण की प्रक्रिया तेज करनी होगी। उन्होंने पर्सन्स विद् डिसेबिलीटी एक्ट-2005 व शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 को उसकी मूलभावना के अनुकूल लागू करने में भी समाज में जागरूकता फैलाने का संदेश दिया।
कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. एस.एस. जोशी व डॉ. राजेश मलिक ने मुख्य वक्ता का स्वागत किया और आभार ज्ञापन प्राध्यापक सतपाल गुज्जर ने किया। मंच संचालन की जिम्मेदारी रामचन्द्र ने निभाई। इस मौके पर प्राध्यापक डॉ. सुदेश, प्रियंका, प्रदीप कुमार, सुरेन्द्र, योगेश, शिल्पा, सतबीर सिंह व जयभगवान उपस्थित रहे।