Monday, March 10, 2025

SAVITRIBAI FULE PUNYATITHI IN GMSSSS BIANA (KARNAL)

सावित्रीबाई फुले के प्रयासों से मिला लड़कियों को शिक्षा का अधिकार: अरुण कैहरबा

कहा: शिक्षा व समाज सुधार में सावित्रीबाई के विचार व प्रयास प्रेरणास्रोत

पुण्यतिथि पर स्कूल में संगोष्ठी का आयोजन

करनाल, 10 मार्च
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका एवं समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि मनाई गई। इस मौके पर आयोजित संगोष्ठी में सावित्रीबाई फुले के जीवन, शिक्षा व समाजसुधार में योगदान पर चर्चा की गई। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रधानाचार्य राम कुमार सैनी ने की और संचालन हिन्दी अध्यापक नरेश मीत ने किया।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि इतिहास से सावित्रीबाई फुले व महात्मा फुले के योगदान को निकाल दें तो शिक्षा के मामले में बहुत दरिद्र हो जाएंगे। उनके प्रयासों का ही फल है कि आज शिक्षा के क्षेत्र में हम आगे बढ़े हैं। महिलाओं और समाज के वंचित वर्गों को शिक्षा का अधिकार मिला है। सबसे पहले तो सावित्रीबाई फुले देश की पहली प्रशिक्षित महिला अध्यापक बनीं। उसके बाद उन्होंने 1848 में पुणे के भिड़ेवाड़ा में पहला कन्या स्कूल खोला। इसके बाद अन्य स्कूल खोले गए। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सामाजिक स्थितियों में यह काम इतना आसान नहीं था, जितना आज दिखाई देता है। उस समय लड़कियों को शिक्षा का अधिकार नहीं था। कम उम्र में शादियां हो जाती हैं। अनमेल विवाह होते थे। ऐसे में लड़कियों, दलितों व पिछड़े वर्ग के बच्चों की शिक्षा की बात करना भी अनेक प्रकार की चुनौतियों से भरा हुआ था। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवनसाथी महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर उन चुनौतियों का सामना किया। उन्हें अनेक प्रकार की मुसीबतों का सामना पड़ा। लेकिन इसके बावजूद अपने कदम पीछे नहीं हटाए। विधवाओं की दशा सुधारने के लिए उन्होंने प्रयास किए। देश की पहली साक्षरता कक्षाएं, पहला प्रसूति गृह स्थापित करने का श्रेय भी सावित्रीबाई फुले को जाता है। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले बहुत अच्छी कविताएं लिखती थी। उनके उस समय लिखे गए पत्र उत्कृष्ट लेखन के नमूने हैं।
अंग्रेजी प्राध्यापक विनोद भारतीय ने सावित्रीबाई  फुले पर लिखी गई अपनी कविता सुनाते हुए कहा- धन्य हो तुम सावित्री मां, तुमने जीती नारी शिक्षा की आजादी, बढ़ाकर नारी शिक्षा का पहला कदम, देश में नारी शिक्षा की राह तुमने दिखा दी। हिन्दी अध्यापक नरेश मीत ने कहा कि सावित्रीबाई फले के लिए शिक्षा के मायने केवल कक्षाएं पास करना ही नहीं था, बल्कि समाज में बदलाव लाना उनका उद्देश्य था। प्रधानाचार्य राम कुमार सैनी ने कहा कि बच्चों को सावित्रीबाई फुले जैसे शिक्षाविदों व समाजसुधारकों के जीवन को जानना चाहिए। उनके बताए रास्ते पर चलने वाले कभी पीछे नहीं रहते। इस मौके पर प्राध्यापक डॉ. सुभाष भारती, राजेश सैनी, सतीश राणा, सलिन्द्र मंढ़ाण, मुकेश खंडवाल, रमन बग्गा, अश्वनी कांबोज, रमन सैनी, सोमपाल, संगीता शर्मा, मीना, बलिन्द्र कुमार उपस्थित रहे।

HARYANA PRADEEP 11-3-2025

INDORE SAMACHAR



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