Tuesday, December 31, 2013
Monday, December 30, 2013
बरसत में बड़े भाईसाहब का मंचन (28-12-2013)
दिनांक 28 दिसम्बर, 2013 दिन शनिवार को शहीद सोमनाथ स्मारक समिति से जुड़ी बुलबुल नाटक टीम का जत्था घरौंडा खण्ड के गांव बरसत स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में पहुंचा। यहां स्कूल के एक हजार से अधिक विद्यार्थियों व अध्यापकों के समक्ष टीम ने कथा सम्राट प्रेमचंद की कहानी बड़े भाईसाहब का रंगमंच प्रस्तुत किया। वंदे मातरम गीत पर कोरियोग्राफी की और गीत गाए। स्कूल के पंजाबी अध्यापक नरेश सैनी ने टीम का स्वागत किया।


Friday, December 27, 2013
Thursday, December 26, 2013
Wednesday, December 25, 2013
दिल्ली का शैक्षिक भ्रमण
विद्यार्थियों ने दिल्ली का किया शैक्षिक भ्रमण
गांव पटहेड़ा स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के 50विद्यार्थियों का दल 14 दिसम्बर, 2013 को दिल्ली में शैक्षिक भ्रमण पर गया। प्रधानाचार्य जय भगवान सैनी, मुख्याध्यापक लालचंद, हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा, अध्यापक सतीश कुमार, रमेश दत्त, दयाल चंद, ऊषा काम्बोज, सुनीता देवी, स्नेहलता, चन्द्रमणि, हरी राम व संदीप के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने दिल्ली स्थित ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया और देश के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त की। भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों में सीखने का उत्साह देखते ही बनता था। दिल्ली में सबसे पहले विद्यार्थी मुगल शासक शाहजहां द्वारा बनवाया गए लाल किले में पहुंचे। यहां अध्यापकों ने विद्यार्थियों को बताया कि लाल किले का निर्माण कार्य 1638 में शुरू होकर 1648 तक चला था। मुगल शासन के दौरान यह देश की सत्ता का मुख्य केन्द्र रहा। 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद इस पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया और यहां पर अपनी सेना का मुख्यालय बना दिया। देश की आजादी के बाद से 2003 तक इसके मुख्य भाग सेना के नियंत्रण में रहे। स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री और गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा यहां पर झंडा फहराया जाता है। यहां से विद्यार्थियों का दल राजघाट पर पहुंचा और राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके पश्चात् विद्यार्थियों को इंडिया गेट ले जाया गया। प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने विद्यार्थियों को बताया कि अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में जाना जाने वाला 43 मीटर ऊंचा द्वार राजपथ पर स्थित है। पेरिस के आर्क डे ट्रायम्फ से प्रेरित होकर इसका निर्माण 90 हजार ब्रिटिश उन भारतीय सैनिकों की स्मृति में 1939 में करवाया गया था, जो प्रथम विश्व युद्ध व अफगान युद्धों में शहीद हुए थे। इंडिया गेट के डिजाइनर एडविन लुटियन हैं। इसे लाल व पीले बलुआ पत्थरों से बनाया गया है। आज़ादी के बाद से इसे अमर जवान ज्योति के रूप में जाना जाता है। यहां से विद्यार्थी हुमायूं के मकबरे में पहुंचे। यहां अध्यापकों ने विद्यार्थियों को बताया कि मुगल शासन हुमायूं की विधवा हमीदा बानो बेगम ने इस मकबरे को 1562 में बनाया था। यह इमारत चारबाग शैली का प्रथम उदाहरण है, जिसके आधार पर बाद में ताजमहल बनवाया गया था। यहां से बस में सवार होकर विद्यार्थी अक्षरधाम मंदिर में पहुंचे। मंदिर की इमारत विद्यार्थियों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं थी। प्रधानाचार्य जय भगवान ने कहा कि भ्रमण करके सीखना विद्यार्थियों को सिखाने का एक सशक्त माध्यम है। इस दौरान विद्यार्थी जो सीखते हैं, वह उनकी स्मृतियों में स्थाई हो जाता है। उन्होंने अध्यापकों व विद्यार्थियों को सफल शैक्षिक भ्रमण की बधाई दी। Friday, October 25, 2013
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